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  • सरकारी विभागों में भी हैं बडे-बडे माफिया
    गरीबों के प्लाॅट पर अधिकारी व बाबुओं का कब्जा
    ग्वालियर विकास प्राधिकरण, विशेष क्षेत्र प्राधिकरण एवं सहकारी समितियों में कारनामे
    ग्वालियर। सरकार योजना तो अच्छी बनाती है तथा योजना का उददेश्य गरीब व जरुरतमंद लोगों तक योजनाओं का लाभ पंहुचाने का होता है लेकिन शासन की इस मंशा को पलीता विभागीय अधिकारी व कर्मचारी ही लगा देते हैं। जिसके कारण पात्र हितग्राहियों तक तो योजना का लाभ पंहुच ही नहीं पाता है। सरकार द्वारा प्रदेश भर में भू माफिया, शराब माफिया, रेत माफिया व सटटा माफिया के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन सरकारी विभागों में बैठे बडे बडे माफियाओं के खिलाफ कौन कार्यवाही करेगा। क्योंकि इनकी जडे तो बहुत ही गहरी हैं।
             ऐसा ही कुछ हाल ग्वालियर विकास प्राधिकरण, विशेष क्षेत्र प्राधिकरण एवं विभिन्न सहकारी समितियों का है। जिसमें प्राधिकरण व समिति द्वारा आमजनों को खुद का मकान उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत आसान किश्तों व बाजार दर से कम रेट पर प्लाॅट निकाले, लेकिन उन अधिकतर प्लाॅटों पर या तो विभागीय अधिकारी व कर्मचारी का कब्जा है या फिर किसी नेता व मंत्री के रिश्तेदार का। गरीबों को तो नियम कायदों में इतना उलझा दिया  जाता है कि वह तो प्लाॅट लेने की इच्छा ही छोड देते हैं।
           अब बात करते हैं ग्वालियर विकास प्राधिकरण की तो प्राधिकरण इन दिनों कंगाली की हालत में चल रहा है लेकिन पहले प्राधिकरण द्वारा शहर में अनेक काॅलोनियां काटकर छोटे बडे हर साइज के प्लाॅट नागरिकों को बेचने के लिए योजनाएं प्रारंभ की थी तथा गरीबों को आवास देने के लिए सस्ती दर भी मकान बनाए गए थे। जिसमें शहर के नागरिकों द्वारा मकान व प्लाॅट लेने के लिए आवेदन किए तथा कागजों की पूर्ति की और उन्हें लाॅटरी के नाम पर इतना उलझाया गया कि मकान लेने के लिए आवेदन करने वालों में से अधिकांश लोगों को तो कुछ भी हाथ नहीं लगा लेकिन प्राधिकारण के बाबुओं व अधिकारियों के परिजनों व रिश्तेदारों के नाम लाॅटरी में निकल गए और हर योजना में उनके एक-एक नहीं बल्कि कई कई प्लाॅटों पर कब्जा हो गए और बडे बडे भवन भी बन गए।
            इतना ही नहीं इन योजनाओं में पार्क व स्कूलों के लिए चिन्हित प्लाटों पर भी उनके द्वारा स्वयं मिलीभगत कर दबंगो का कब्जा करा दिया गया जिसमें भी उन्होंने अपना हिस्सा लेकर भवन खडे करवा दिए।


साडा क्षेत्र में भी हैं बडे-बडे घोटाले
      वहीं विशेष क्षेत्र प्राधिकरण में आने वाले क्षेत्र में तो अभी उतना विकास हुआ ही नहीं है जितना होना चाहिए तो उसके घोटालों की परतें तो खुलनी बाकि हैं। क्योंकि साडा क्षेत्र में तो संबंधित विभाग के प्रत्येक अधिकारी, बाबू व अन्य कर्मचारियों के साथ ही उनके रिश्तेदारों व परिजनों के बडे बडे भूखंड पडें हैं, जैसे ही वहां विकास होगा उन पर भी भवन बनेगें और कोडियों के भाव में क्रय किए गए यह सभी भूखंड करोडों की कीमत में बिकेगें।


समितियों में भी हैं घोटाले बाज माफिया
     शहर के सबसे पाॅश इलाके सिटी सेंटर में नेताओं, सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा बडे बडे भू माफियाओं के साथ मिलकर विभिन्न समितियां बनाकर बडे बडे भूखंड अपने नाम करा लिए तथा अब उन पर व्यावसायिक काॅम्पलेक्स बनाकर करोडों की कमाई कर कर रहे हैं जबकि समितियों के नाम से रजिस्टर्ड कराकर संबंधित भू माफिया द्वारा उक्त प्लाॅट सस्ते में सरकार से लीज पर लिए गए हैं।


पटवारी व सरपंच भी कब्जाए हैं सरकारी जमीनें
         शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में पटवारी व सरपंच भी किसी भी भू माफिया से पीछे नहीं है वह भी आपस में सांठगांठ कर बडी बडी शासकीय जमीनों पर कब्जा जमाए बैठें हैं और तो और यह लोग सरकारी जमीनें दस्तावेजों में हेरफेर कर दूसरे भू माफिया को बेच देते हैं जिसके चलते गरीबों को तो पटटे व लीज पर भूमि मिलने की योजना की केवल जानकारी मिल पाती है असली खेल तो पटवारी व सरपंच कर देते हैं।